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लेखनी प्रतियोगिता -22-Dec-2022


मेरी सूरत ही न देखो मेरे काम भी देखो
मेरी बातों में छुपे मेरे पैगाम भी देखो।

ये पंछी ये बादल ये बारिश बुलाते हैं
जरा मौसम भी देखो जरा शाम भी देखो।

क्यों रोज भूल जाते हो मुझसे मिलना
मेरे दिल मे लिखा है जो तुम्हारा नाम भी देखो।

तुम्हारी साँसों की खुशबू मुझे पागल बनाती है
घुली है इनमें इत्र या फिर जाम भी देखो।

मेरे साथ चाहतों का तुम आगाज़ तो करो
कब कहा मैंने मेरे साथ ही अंजाम भी देखो।।


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5 Comments

लाजवाब लाजवाब लाजवाब

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Gunjan Kamal

23-Dec-2022 05:26 PM

बहुत ही सुन्दर

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Sachin dev

23-Dec-2022 05:15 PM

Well done

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